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14-07-2025 से 18-07-2025 तक

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14 जुलाई – दूसरा दिन(सोमवार) आज प्रशिक्षण का दूसरा दिन था। हम समय पर विद्यालय पहुँचे। अन्य नए प्रशिक्षु शिक्षक भी आज पहुँचे थे, जिनका विद्यालय में स्वागत किया गया। आज मेरे लिए कोई पीरियड पढ़ाने के लिए नहीं मिला । इसी कारण प्रतिस्थापना भी नहीं था। मुझे दो वैकल्पिक पीरियड मिला। छोटी कक्षा के बच्चोंको पढ़ाते समय मुझे धैर्य और सरल भाषा का प्रयोग करना पड़ा हिन्दी वर्णमाला और संख्याओं को बच्चों के स्तर के अनुसार समझाना चुनौतीपूर्ण लेकिन आनंददायक था। यह अनुभव मुझे प्राथमिक कक्षाओं के शिक्षण के महत्व और पद्धति को समझने में मददगार रहा। 15 जुलाई– तीसरा दिन(मंगलवार) आज मुझे  कक्षा 8D में पढ़ाने का मौका मिला। पहली दिन होने  के कारण आत्मविश्वास में  कम थी। मुझे  कक्षा नियंत्रण में चुनौती सामना करना पड़ा । समय की कमी के कारण सभी ‌गतिविधियां नहीं हो सकीं, विलोम शब्द की  गतिविधि अधूरी रह गई। इससे समय प्रबंधन के महत्व का एहसास हुआ। इस अनुभव से मुझे यह समझ में आया कि एक सफल शिक्षक बनने केलिए केवल विषय ज्ञान मात्र नहीं बल्कि धैर्य, स्पष्ट संवाद और सदद अभ्यास भी आवश्यक है। 16 जुलाई...

11/7/2025( शुक्रवार)

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  पहला दिन बी.एड. पाठ्यक्रम का शिक्षण अभ्यास चरण शिक्षक बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, जहाँ प्रशिक्षुओं को कक्षा में वास्तविक शिक्षण का अनुभव प्राप्त होता है। यह अभ्यास केवल शिक्षण विधियों का प्रयोग भर नहीं होता, बल्कि यह एक समग्र प्रक्रिया है जो अनुशासन, योजना, आत्मनिरीक्षण और संवाद कौशल के विकास में सहायक होती है। हमारे शिक्षण अभ्यास की शुरुआत 13 जुलाई 2025 को हुई, और मुझे अपने सहपाठियों के साथ गवर्नमेंट मॉडल बॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल, अटिंगल में इस अमूल्य अनुभव का हिस्सा बनने का अवसर मिला। यह रिपोर्ट हमारे पहले दिन की गतिविधियों, वातावरण और अनुभवों की एक झलक प्रस्तुत करती है। आज हमारे शिक्षण अभ्यास का पहला दिन था। हमें जो विद्यालय आवंटित किया गया है, वह गवर्नमेंट मॉडल बॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल, अटिंगल है। हम सभी प्रशिक्षु सुबह 9:10 बजे विद्यालय पहुँचे। कुल मिलाकर हम 6 प्रशिक्षु थे — के यू सी टी ई, करियवट्टम से, जिनमें से 2 हिंदी, 2 गणित और 2 भौतिक विज्ञान विषय के थे। सबसे पहले हम सभी प्रशिक्षु मिलकर विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री अनिल कुमार जी से मिलने गए और हमारे लि...

EDUSAT(EDUCATIONAL SATELLITE)

 EDUSAT EDUSAT India's first educational Satellite aims to promote quality education and bridge the gap between urban and rural areas. EDUSAT  originally called GSAT- 3 , it was launched in to space by Indian space research organisation  on 20 September 2004 . The primary purpose of this satellite was for students studying in schools , from primary to high school. This was the first educational background . EDUSAT utilizes technology to deliver educational content to remote and under served regions  OBJECTIVES  Making education more accessible  To improve the quality of education  Providing equal opportunities to students  Providing training and capacity building for teachers  Leveraging technology in education Areas where EDUSAT can be utilized School education  Vocational education  Distance education  Special education  Teacher education  Research development Importance of EDUSAT in the field of Education...